Home Top Ad

Review master

जातिगत आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Share:

सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत रिजर्वेशन के मामले में दिया अपना मत. 



 जातिगत आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहां है कि कोटा पॉलिसी का मतलब योग्यता को नष्ट करना नहीं होता आरक्षण देने के पीछे का मकसद है योग्य उम्मीदवार को नौकरी दिलाने या अन्य लाभ दिलाने में सहायता करना है सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली न्याय पीठ ने आरक्षण के फायदे को लेकर दायर याचिका के दौरान अपना फैसला सुनाया है जिसमें अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि पद भरने के लिए आवेदकों की जाति की बजाय उसकी योग्यता पर ध्यान देना चाहिए और योग्य उम्मीदवारों को आरक्षण के जरिए सहायता जरूर देनी चाहिए परंतु अयोग्य उम्मीदवारों को आरक्षण के जरिए उचित पदों पर बैठाना आरक्षण का एक मकसद नहीं है



सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेच ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि आरक्षण का मतलब जातीय भेदभाव को बढ़ाना नहीं है आरक्षण योग्य उम्मीदवारों को इसलिए दिया जाता है ताकि क्षितिज पर मौजूद योग्यता को भी आगे लाया जा सके न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने पैसे में टिप्पणी करते हुए कहां की ऐसा करने से ही नतीजा जातिगत आरक्षण के रूप में सामने आएगा जहां प्रत्येक सामाजिक श्रेणी आरक्षण की अपने दायरे में सीमित हो जाएगी परंतु योग्यता को जगह नहीं मिल पाएगी इसलिए सभी के लिए ओपन कैटेगरी होनी चाहिए ताकि योग्य उम्मीदवार आगे आ सके.

योग्य उम्मीदवार कर सकता है बिना आरक्षण के भी सफलता  हासिल.


सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए बताया कि आरक्षण के बिना भी योग्य उम्मीदवार ओपन कैटेगरी में अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर भी सफलता हासिल कर सकता है जैसे sc-st का  उम्मीदवार बिना आरक्षण का लाभ उठाएं ओपन कैटेगरी में भी रजिस्ट्रेशन करवा सकता है.

No comments