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हृदय रोगी क्या सोचता है और क्या है वास्तविकता

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अगर हम दिल की बीमारी के मरीज के बारे में सोचें तो हम यह सोचना शुरू कर देते हैं कि अगर भविष्य में हमारे सामने ऐसी कभी को


ई नौबत आई तो हम अपने लाइफस्टाइल को चेंज करके और युवाओं को सही टाइम पर लेकर अपने दिल की बीमारी को ठीक कर लेंगे परंतु जब वास्तविकता में हमारे सामने दिल की बीमारी होती है तो हम यह सब चीजें भूल कर बहुत बड़ी चिंता में उलझ जाते हैं कि अब मुझे दिल की बीमारी हो गई पता नहीं क्या होगा मैं जिंदा रहूंगा या नहीं रहूं

  जब हम किसी दूसरे मरीज को देखते हैं तो उसकी बीमारी को बहुत सामान्य समझते हैं और इस बात का सुझाव देने लगते हैं कि अगर भविष्य में मेरे सामने ऐसी प्रॉब्लम आई तो मैं इसे आसानी से फेस कर लूंगा परंतु वास्तविकता ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि जब हम किसी भी बीमारी से ग्रस्त होते हैं तो हमारे सामने बीमारी से निजात पाने के सुझाव कम याद आते हैं.

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बल्कि बीमारी से होने वाले दुष्प्रभाव ज्यादा याद आने लग जाते हैं अक्सर दिल की बीमारी से मरने वाले लोगों मैं ऐसे व्यक्ति सबसे ज्यादा होते हैं जो अपने खाने पीने से बेपरवाह होते हैं क्योंकि दिल के मरीज को अपने भोजन में एक विशेष प्रकार का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है परंतु वह इस बात का ध्यान नहीं रख पाते कि मैंने क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसकी वजह से वह जरूरत से ज्यादा फैट को खाने में लेने के कारण हार्टफेल् का शिकार हो जाते हैं बल्कि बीमारी से होने वाले दुष्प्रभाव ज्यादा याद आने लग जाते हैं अक्सर दिल की बीमारी से मरने वाले लोगों मैं ऐसे व्यक्ति सबसे ज्यादा होते हैं जो अपने खाने पीने से बेपरवाह होते हैं क्योंकि दिल के मरीज को अपने भोजन में एक विशेष प्रकार का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है परंतु वह इस बात का ध्यान नहीं रख पाते कि मैंने क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसकी वजह से वह जरूरत से ज्यादा फैट को खाने में लेने के कारण हार्टफेल् का शिकार हो जाते हैं हर हृदय के रोगी की उम्मीद होती है कि वह जरूरत से ज्यादा ने तो गुस्सा करेगा और ना ही जरूरत से ज्यादा काम करेगा परंतु वास्तविकता में ऐसा नहीं हो पाता कुछ समय ऐसा भी फेस करना पड़ता है कि उन्हें गुस्सा ना चाहते हुए भी आ जाता है जिसके कारण हृदय पर ब्लड प्रेशर हाई का दुष्प्रभाव पड़ता है और हर्ट की बीमारी से मरने वाले 20% लोग वल्ड प्रेशर हाई की वजह से ही मरते हैं

हर हृदय के रोगी की उम्मीद होती है कि वह जरूरत से ज्यादा ने तो गुस्सा करेगा और ना ही जरूरत से ज्यादा काम करेगा परंतु वास्तविकता में ऐसा नहीं हो पाता कुछ समय ऐसा भी फेस करना पड़ता है कि उन्हें गुस्सा ना चाहते हुए भी आ जाता है जिसके कारण हृदय पर ब्लड प्रेशर हाई का दुष्प्रभाव पड़ता है और हर्ट की बीमारी से मरने वाले 20% लोग वल्ड प्रेशर हाई की वजह से ही मरते हैं

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